रोजगार, भूख जैसे मुद्दे अब भी कायम हैं। कोरोना के बाद ये मुद्दे और भी गहरे हो गए हैं। शायरों/कवियों की नजर इन मुद्दों से अछूती नहीं रही है। , फै़ज़, अदम गोण्डवी, मुनव्वर जैसे शायरों के काव्य में दुनिया के सुख-दुख पर कई बार ऐसे अल्फाज़ो से अपने भावनाओ को व्यक्त किया है जिससे मन खुश हो जाता है। मानवीय पहलुओं पर शायरों ने उन संवेदनाओं पर अपनी कलम चलाई है। आइए पढ़ते हैं रोजगार पर शायरों के ज़ज़्बात
Berozgaar shayari in hindi
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अपने बच्चों को मैं बातों में लगा लेता हूं
जब भी आवाज़ लगाता है खिलौने वाला
राशिद राही

बच्चों की फ़ीस उन की किताबें क़लम दवात
मेरी ग़रीब आँखों में स्कूल चुभ गया म
कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है
-राहत इंदौरी
कर के हम पीएचडी और Mphil
लगा रहे ठेला कोरोना में जब मिली ढील ।।
सरकार ने प्राइवेट एजुकेशन देकर खली करवाया बैंक अकाउंट
फिर मोबाइल थमा हाथ में बोली इकॉनमी चल रही है साउंड
कर लिया मैंने MA , BA पास।
नौकरी बन गयी है मेरा खाब उदास
बेकार है , बेरोजगार है।
मेरे पढ़ने का यही तो चमत्कार है
बचपन में सोचा पढ़ लिख के अपना टाइम आयेगा।
सरकार ने बोला ज्यादा पढ़े तो जो है वो भी अब चला जायेगा
सोचा था बापू ने बनाऊंगा बेटे को कलेक्टर।
खूब मेहनत से इक दिन बनाऊंगा सरकारी नौकर
और बना दिया बेटे को खाली नौकर
होटल में पैसे कमा रहा गिलास धो कर।
पढ़ना – पढ़ाना यहाँ धंधा है
रोजगार पर पूरा समाज अँधा है
पढ़ लिख कर बन गए सारे लौंडे नवाब।
सारे नवाब मिलकर देख रहे जॉब का ख्वाब।।
सालों किताब का बोझ उठाया।
अंत में जॉब ढूंढने के काम पे लगाया
डिग्री देख बादशाह बने मिलने पे हुए गुलाम
रानी पाने के सपने में नहीं मिल रहा कोई काम
मंदिर मस्जिद घूमते रहते हैं
अक्सर माँगते मन्नते ,अब तक पार ना लगाए राम
Berozgaar shayari
माँ बाप ने सोचा पढाई लिखाई से होगा बेटे का ब्राइट फ्यूचर
क्या पता था इक दिन ऐसा आएगा बेटे का जीवन हो गया फटीचर
पचा के दिमाग में किताबों का ज्ञान।
बिना नौकरी के बेरोजगारी बन गयी पहचान
पढ़ने लिखने का अपनाअलग ही मजा है।
जॉब ढूंढने में जिंदगी निकल जाये वह सजा है।
किताबों के सहारे लगे थे जीवन की नाव चलाने
बेरोज़गारी की धार लगी है जीवन की मजधार में डुबाने